रूस अपने आर्कटिक क्षेत्र से निकलने वाले कच्चे तेल को ज्यादा मात्रा मे अब भारत और चीन को बेच रहा है। क्योंकि दिसम्बर मे यूरोपियन युनियन जी-7 देशों के समूह और आस्ट्रेलिया ने रूसी तेल पर प्राइस कैप लगा दिया था। इस प्राइस कैप लगाते समय कहा गया था कि अगर रूस इस कैप को नही मानता है तो उस पर और भी कई प्रतिबन्ध दिए जाएंगे। लेकिन रूस ने इस प्राइस कैप को नही माना। रूस ने कहा कि जो भी देश उस पर प्राइस कैप लगाएगा, हम उसको तेल देना बंद कर देंगे। इसके बाद जो आर्कटिक से निकलने वाले कच्चे तेल को भेजना बंद कर दिया है। अब रूसी तेल कम्पनियाँ नए खरीददारों की तलाश कर रही है।
भारत में बढी रूसी तेल की सप्लाई
भारत को रूसी तेल कि सप्लाई मई 2022 से लगातार बढ़ती जा रही है। नवम्बर माह में रिकार्ड मात्रा में रूसी तेल भारत को बेचा गया। इस माह लगभग 66 लाख बैरल तेल भारत को निर्यात किया गया। जबकि दिसम्बर माह में 41 लाख बैरल तेल भारत को निर्यात किया था। इसमें अधिकतर तेल आर्को और नोवी पोर्ट का था। 9 लाख बैरल के साथ यह कार्गो यूरोप और स्वेज कैनाल होते हुए 27 दिसम्बर को भारत के कोच्ची पोर्ट पर पहुंचा। यह तेल भारतीय तेल कंपनियों को सप्लाई किया गया था।
भारतीय रिफाइनरी के सूत्रों के अनुसार रूस के पास कई ग्रेड का तेल है , जो भारतीय कंपनियों को ऑफर किया जा रहा है । यह तेल अमेरिकी तेल मार्स और टेक्सास जैसे तेलों के मुकाबले आर्कटिक क्षेत्र के तेल आर्को और नोवी पोर्ट के तेल में हर बैरल पर 10 डॉलर का मार्जिन है। आर्कटिक क्षेत्र के वरांडे तेल की प्रोसेसिंग भारतीय रिफाइनरी के लिए आसान है । अब रूसी तेल का भारत और चीन ही मुख्य घर है ।
पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर लगाया प्राइस कैप
रूस और युक्रेन जंग को लेकर अमेरिका सहित पश्चिम देशों ने रूस पर प्राइस कैप लागू कर दिया है। प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल रखा गया है। पश्चिमी देशों ने चेतावनी दी थी कि सभी को इसी प्राइस कैप के आधार पर तेल खरीदना होगा। हालांकि भारत उन पश्चिमी देशों के दवाब में नही आया। भारत अब भी रूस के साथ खुल कर तेल व्यापार कर रहा है। भारत प्राइस कैप लगने के बाद भी जारी है। दूसरी और रूस ने प्राइस कैप का खुल कर विरोध किया और कहा है कि रूस इस प्राइस कैप को बिलकुल नही मानेगा। जो पश्चिम देशों ने उस पर किसी साजिश के तहत थोपा है।