Stock Market Crash: आज सोमवार, 7 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में “ब्लैक मंडे” (Black Monday) साबित हुआ । बाजार के खुलते ही निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये स्वाहा हो गए। स्टॉक मार्केट में भगदड़ मच गई और इस भगदड़ में हर वो शक्स कुचला गया जिसने बाज़ार में निवेश कर रखा है। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ की आग से पैदा हुए वैश्विक व्यापार युद्ध के डर ने बाजारों में भगदड़ मचा दी। सेंसेक्स 3914 अंक से ज्यादा गिरकर 71,449.94 पर खुला, वहीं nifty 50 भी क़रीब 1146 अंक की गिरावट के साथ 21,758.40 पर खुला । यह साल 2024 की अब तक की सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है, जिसने निवेशकों के मन में सवाल खड़े कर दिए: “क्या यह गिरावट और बढ़ेगी?”
निवेशकों पर क्या गुजरी?
बाजार खुलने के महज 10 मिनट में ही निवेशकों की जेब से ₹18 लाख करोड़ “उड़नछू” हो गए। बीएसई का मार्केट कैप शुक्रवार को 404.09 लाख करोड़ से गिरकर 386.02 लाख करोड़ रह गया। यह आंकड़ा साफ बताता है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार तीसरे हफ्ते बिकवाली कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ग्लोबल अनिश्चितता के चलते यह ट्रेंड अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकता है।
वैश्विक बाजारों में तबाही का मंजर
भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के बाजार लाल निशान में डूबे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ फैसले और चीन की जवाबी कार्रवाई ने एशियाई बाजारों को हिला दिया। जापान का निक्केई 8% टूटा, वहीं दक्षिण कोरिया का कोस्पी 4.3% नीचे आया। यूरोप और अमेरिका के फ्यूचर्स भी 2-3% की गिरावट के साथ खुले। कच्चे तेल की कीमतों में आई 3% की गिरावट ने भी बाजारों के मूड को बिगाड़ा। WTI क्रूड $59.74 प्रति बैरल पर पहुंचा, जो अप्रैल 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
अमेरिकी बाजारों में हड़कंप: क्या कोरोना काल जैसी स्थिति?
शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों ने भी ऐतिहासिक गिरावट देखी। डॉव जोन्स 5.5% टूटा, जो जून 2020 (कोविड महामारी के दौरान) के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। एसएंडपी 500 में 5.97% और नैस्डैक में 5.8% की गिरावट ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया। माना जा रहा है कि चीन द्वारा अमेरिकी सामान पर 34% अतिरिक्त शुल्क लगाने से दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध का खतरा बढ़ गया है। आईएमएफ की हालिया रिपोर्ट चेतावनी दे चुकी है कि ऐसी स्थिति वैश्विक जीडीपी को 0.5% तक कम कर सकती है।
आरबीआई की नीतिगत बैठक: क्या उम्मीद करें?
इस उठापटक के बीच सभी की निगाहें RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक पर टिकी हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि केंद्रीय बैंक रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है, ताकि बाजार में तरलता बढ़े और निवेशकों का भरोसा लौटे। हालांकि, ग्लोबल हेज फंड मैनेजर राजीव ठक्कर जैसे एक्सपर्ट्स मानते हैं कि “आरबीआई के पास नीतिगत दरों में बदलाव के अलावा लिक्विडिटय मैनेजमेंट के अन्य विकल्प भी हैं, जिन पर बैठक में चर्चा होगी।”
निवेशकों के लिए सलाह: घबराएं नहीं, समझदारी से काम लें
बाजार के इस उतार-चढ़ाव में घबराहट निवेशकों की सबसे बड़ी दुश्मन है। फाइनेंशियल प्लानर सुनीता शर्मा का कहना है, “ऐसे समय में पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना और लॉन्ग-टर्म पर्सपेक्टिव पर फोकस करना जरूरी है।” इतिहास गवाह है कि 2008 के संकट या 2020 के कोविड क्रैश के बाद भी बाजारों ने रिकवरी की है। इसलिए, बाजार के ट्रेंड को समझें, विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी लें और भावनात्मक निर्णयों से बचें।