Budget 2025 Expectations : 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) अपने आठवें केंद्रीय बजट 2025-26 को पेश करने जा रही हैं। यह बजट ऐसे समय में आ रहा है जब देश की अर्थव्यवस्था धीमी गति से आगे बढ़ रही है और उपभोग कमजोर नजर आ रहा है। पिछले बजट 2024-25 में ‘विकसित भारत’ के रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी, जिसके आधार पर इस बार के बजट में कई नई योजनाओं और नीतिगत बदलावों की उम्मीद है। आइए, इस बजट से जुड़ी प्रमुख अपेक्षाओं और संभावनाओं पर गहराई से नजर डालते हैं।
‘विकसित भारत’ के लिए नौ प्राथमिकताएं
पिछले बजट 2024-25 में वित्त मंत्री ने ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए नौ प्राथमिकताएं तय की थीं। इन प्राथमिकताओं को आधार बनाकर आने वाले बजटों में नई योजनाओं और नीतियों को शामिल किया जाएगा। ये प्राथमिकताएं हैं:
- कृषि में उत्पादकता और स्थिरता
- रोजगार और कौशल विकास
- समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय
- उत्पादन और सेवा क्षेत्र
- शहरी विकास
- ऊर्जा सुरक्षा
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास
- नवाचार, शोध और विकास
- अगली पीढ़ी के सुधार
वित्त मंत्री ने कहा था कि इन प्राथमिकताओं के साथ नई योजनाओं को जोड़कर देश को विकास के नए आयामों तक पहुंचाया जाएगा।
रोजगार योजनाओं पर ध्यान
पिछले बजट में वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 4.1 करोड़ युवाओं को रोजगार, कौशल विकास और अन्य अवसर प्रदान करने के लिए 2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय योजना की घोषणा की थी। इस बजट में भी रोजगार को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं और नीतियों की उम्मीद है। विशेष रूप से, युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है।
कस्टम ड्यूटी संरचना में बदलाव
पिछले बजट में वित्त मंत्री ने मोबाइल फोन, चार्जर और कुछ कैंसर दवाओं पर कस्टम ड्यूटी कम करने की घोषणा की थी। साथ ही, उन्होंने छह महीनों में कस्टम ड्यूटी संरचना की व्यापक समीक्षा का प्रस्ताव रखा था। इस बजट में कस्टम ड्यूटी संरचना में बदलाव की उम्मीद है, जिससे व्यापार में आसानी हो और विवादों को कम किया जा सके।
आयकर अधिनियम में संभावित बदलाव
पिछले बजट में वित्त मंत्री ने नई आयकर व्यवस्था को प्रोत्साहित करते हुए मानक कटौती सीमा को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 किया और आयकर छूट सीमा को ₹5 लाख से ₹7 लाख कर दिया था। इस बजट में आयकर अधिनियम में और राहत की उम्मीद है, खासकर तब जब अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत कर भार को कम करने की मांग बढ़ रही है।
राजकोषीय घाटे पर नजर
पिछले बजट में वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.9% रहने का अनुमान लगाया था। उन्होंने वादा किया था कि अगले वर्ष यह 4.5% से नीचे रहेगा। हालांकि, विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों ने कर राहत की मांग की है, लेकिन इसका असर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
केंद्रीय बजट 2025-26 देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिछले बजट भाषण के आधार पर, इस बार के बजट में रोजगार, कस्टम ड्यूटी, आयकर और राजकोषीय घाटे से जुड़े महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद है।