नई दिल्ली : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने देश में पशुओं के लिए चारे की कमी को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण फ़ैसला लेते हुए पशु चारा उद्योग (Animal Feed Industry) को नए तरीके से गंभीर और ठोस कदम उठाने के निर्देश दिये है।
रूपाला ने उद्योग संगठन कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इंडिया (CLFMA OF India) द्वारा 64वें राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजना को संबोधित करते हुए कहा, मौजूदा समय में, हम देश में चारे की समस्या का सामना कर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए उद्योग को नवीन तरीकों और नए पैमाने पर गंभीर और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि उद्योग को चारा उत्पादन बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए ताकि लागत न बढ़े और दूध की कीमतों पर भी ज़्यादा असर न पड़े।
पशु चारे की बढ़ी कीमतों का असर दूध के दाम पर
रूपाला ने कहा की, अगर चारे की कीमत बढ़ती है, तो इसका सबसे असर दूध के दाम पर पड़ता है। इससे डेयरी किसानों की आय पर भी असर पड़ता है। एक सामान्य वर्ष में, देश को हरे चारे की 12.15%, सूखे चारे की 25-26% और सांद्रित चारे की 36 प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ता है। घाटा मुख्यतः मौसमी और क्षेत्रीय कारकों के कारण होता है।
पशुधन और डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए अलग-अलग कदमों का उल्लेख करते हुए रूपाला ने कहा कि सरकार टेक्नोलॉजी को डेयरी सेक्टर से जोड़ रही है और नए रास्ते खोलने में मदद कर रही है। यहां तक कि नया मंत्रालय बनाने के बाद फंड आवंटन भी बढ़ गया है।
पराली की समस्या से निपटने के लिए मांगे सुझाव
इस मौके पर आगे उन्होंने कहा कि यह एक विडंबना है कि एक तरफ किसान पराली (Paddy Straw) जला रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें चारे की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने उद्योग जगत से इन दोनों मुद्दों पर गौर करने और एक नया समाधान खोजने को कहा। उन्होंने सीएलएफएमए से अनुरोध किया वे पराली की समस्या से निजात दिलाने और इसे पशु चारे के रूप में इस्तेमाल करने की संभावनाएं तलाशें, जिससे पराली की समस्या का समाधान हो सके। पशुओं के लिए सस्ता चारा भी उपलब्ध हो सके। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जैविक खाद की बजाय रासायनिक खादों के उपयोग से जमीनें बंजर हो रही हैं। इसलिए हमें ऐसे प्रयोगों से बचना होगा।