HDFC-HDFC Bank Merger 2023: क्या आप जानते हैं HDFC Bank और Housing Development Finance Corporation Limited HDFC का विलय होने जा रहा है, जोकि देश की सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि जुलाई तक इस मर्जर प्रोसेस को पूरा कर लिया जाएगा। इस विलय के बाद हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन (Housing development finance corporation) को HDFC बैंक के नाम से ही जाना जाएगा। इस विलय को लेकर HDFC बैंक और HDFC के ग्राहकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। इस विलय के बाद काफी कुछ बदलेगा, आइए जानते हैं कि क्या-क्या बदल सकता है इस विलय के बाद।
क्या HDFC से होम लोन लेना हो जाएगा सस्ता ?
इस मर्जर प्रोसेस के बाद सबसे ज्यादा असर फाइनेंस कंपनी HDFC के होम लोन ग्राहकों पर पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक HDFC-HDFC Bank के मर्जर होने के बाद लोन एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट (EBLR) से तय होंगे। यानी अगले छह महीने में एचडीएफसी लोन की ब्याज दरें EBLR के आधार पर तय होगी। RBI के नियम के मुताबिक साल 2019 के बाद बैंकों को अपने सभी रिटेल लोन को एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट से लिंक करना कम्पलसरी होगा । हालांकि फाइनेंशियल कंपनियों के लिए ऐसा नहीं है। इस विलय के बाद HDFC को अपने सभी लोन को एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट से लिंक करना होगा।
क्या फायदा होगा इसका
HDFC फाइनेंस को लोन की ब्याज दर बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (BPLR) के बजाए एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट (EBLR) के आधार पर निर्धारित करना होगा। बेंचमार्क लेंडिंग रेट ( BPLR) एक इंटरनल बेंचमार्क रेट होता है, जिसे बैंक अपने मुताबिक अलग-अलग पैरामीटर को देखते हुए निर्धारित करता है। जबकि एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट (EBLR) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया निर्धारित करती है। फलसवरूप विलय के बाद HDFC की ब्याज दरें EBLR से लिंक हो जाएंगी। गौरतलब है कि एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग पर आधारित ब्याज दर अधिक ट्रांसपेरेंट होती हैं।
घट सकती है ब्याज की दरें
ज्यादातर देखा गया है जो लोन EBLR से लिंक नहीं होते हैं वो RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती किए जाने पर ग्राहकों को तुरंत ब्याज में कटौती का लाभ नहीं देते हैं। इस विलय के बाद HDFC के होम लोन ग्राहकों को यह लाभ रेपो रेट में कमी होने पर तुरंत मिलेगा। इस विलय के बाद एचडीएफसी होम लोन ग्राहकों को सस्ती ब्याज दर और लोन अवधि को कम किया जा सकता है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि बैंक भी इसका अनुसरण करे।
अकाउंट होल्डर्स के लिए बदलाव
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस विलय के बाद लोन के नियम और शर्तें में बदलाव की आशंका कम जताई जा रही है। कर्जदाता वर्तमान रिपेमेंट नियम के अनुसार से अपनी EMI का भुगतान करते रहेंगे। इस विलय के बाद बैंक की जमाएं और कर्ज ज्यादा होंगे। बैंक कम ब्याज दरों पर अधिक पैसा उधार लेने की स्थिति में होगा। जिससे ग्राहकों को लाभ मिल सकता है।
विलय के बाद नई इकाई में बैंक की करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट लागत में कटोती हो सकती है। बैंक इसका लाभ ग्राहकों को दे सकता है। बैंक के खाताधारकों के लिए बदलाव देखने को नही मिलगा। पहले की जैसे इन्हें सभी सुविधाएं मिलती रहेंगी। हालाँकी बैंकिंग सर्विस में कोई खास बदलाव होने की सम्भावना नही है।