Shree Anna Yojana: हाल में पेश किये केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने श्री अन्न योजना (Shri Anna Yojana) की शुरुआत की है। इसके तहत मोटे अनाज को प्रोत्साहन दिया। जायेगा इससे देश में मोठे अनाज के उत्पादन और खपत दोनों में बढ़ोतरी होगी। लोगो का मोटे अनाज के प्रति जुड़ाव फिर पढ़ने की आशंका है। भारत प्राचीन काल से ही कृषि प्रधान देश रहा है। और प्राचीन भारत में ज्यादातर मोटा अनाज ही उपयोग में लाया जाता था. जो आजकल गेंहू और चावल (Wheat and Rice) हैं, उस समय गेंहू और चावल का बिलकुल उपयोग नहीं होता था। वर्षों में लोग मोटे अनाज को छोड़कर गेंहू और चावल की और अग्रसर हुए हैं।
Shree Anna Yojana: सरकार क्यों जोर दे रही है मोटे अनाज पर ?
जैसा कि आप जानते हैं आजकल तकरीबन हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है। हर परिवार में डॉक्टरों की दवाई चलती रहती है. लेकिन प्राचीन भारत में लोग बहुत काम बीमार पड़ते थे. इसका मुख्य कारण यही है कि प्राचीन भारत में लोग मोटा अनाज खाते थे। मोटा अनाज गेंहू और चावल की तुलना में ज्यादा पौष्टिक होता हैं. मोटा अनाज उगाने के लिए पानी की लागत भी काम होती है।
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भारत के किसानों के पास वैसे भी सिंचाई के साधन इतने संपन्न नहीं हैं। अगर बात की जाए राजस्थान की तो वहां पर अधिकतर जमीन पर खेती बरसात पर ही निर्भर है। इसलिए मोटे अनाज की खेती ऐसे क्षेत्रों के लिए भी लाभकारी है।
किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता
श्री अन्न योजना के तहत मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार को आर्थिक मदद भी प्रदान करेगी। मोटे अनाज की श्रेणी में आने वाली मुख्य फसलें हैं : बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी कुटकी इत्यादि हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि वर्ष 2023 अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष भी घोषित किया गया है। हैदराबाद में मिलेट के लिए सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस (Centre of Excellence) भी स्थापित किया जायेगा।