Rice Crisis 2023: दुनिया में चावल खाने वालों की संख्या रोटी खाने वालों से कहीं अधिक है। भारत में अधिकतर जगह पर चावल मुख्य भोजन होता है, बहुत सारे लोग आपको ऐसे मिल ही जाएंगे जो दिन में एक बार यदि चावल ना खाएं तो उनको संतुष्टि नहीं मिलती। लेकिन अब ऐसे लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि इस बार दुनिया में चावल का उत्पादन कम हुआ है, यही कारण है कि भारत ने भी चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया है। जिस वजह से अमेरिका और कनाडा के बाजार में हड़कंप मचा हुआ है। वहां के लोग अब बाजार से भारतीय चावलों को खरीद कर जमा करने में लगे हैं।
चावल की कमी क्यों है?
इस समय पूरी दुनिया ही चावल की किल्लत का सामना कर रही है। फिच सॉल्यूशंस ने एक रिपोर्ट में बताया कि चावल का उत्पादन करने वाले बड़े बड़े देशों का चावल का प्रोडक्शन घटा है। चिंता की बात ये है कि आने वाले समय में चावल उत्पादन का ग्राफ और अधिक नीचे जाएगा। मुख्य रूप से चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ में चावल का उत्पादन पहले से कई ज्यादा गिरा है। जानकारी के लिए बता दें, फिच सॉल्यूशंस के कमोडिटी एनालिस्ट चार्ल्स हार्ट के अनुसार, इस साल लगभग 1.86 करोड़ टन चावल की कमी बाज़ार में दिखाई दी है।
ये है चावल उत्पादन में कमी का कारण
चावल के उत्पादन की कमी के पीछे जो बड़ा कारण है वो है क्लाइमेट चेंज यानी की बदलती जलवायु, इसके अलावा रूस-यूक्रेन का युद्ध, चीन और पाकिस्तान जैसे चावल उत्पादक देशों में खराब मौसम भी चावल के कम उत्पादन का मुख्य कारण है। ऐसी स्थिति में अब भारत से व्यापारी ऊँची कीमतों पर चावल बाहर के देशों में निर्यात करेंगे। यदि ये निर्यात अधिक किया गया तो देश में चावल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी। यही कारण है की सरकार ने पहले से ही चावलों के निर्यात पर बंदी लगा दी है। भारत से चावल बाहर नहीं जाएगा तो इसकी कीमत भी नहीं बढ़ेंगी।
भारत में कितना होता है चावल?
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की रिपोर्ट की मानें तो भारत में साल 2021-22 में 129,471 टन चावल का उत्पादन हुआ था। वहीं साल 2022-23 में भारत में चावल का उत्पादन 136,000 टन के करीब हुआ था। जबकि, 2023-24 में ये उत्पादन कम हो कर 134,000 टन हो गया। हालांकि, इसके बावजूद बाकी के देशों के मुकाबले भारत की स्थिती ठीक है।