2021-22 के रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान देश में लगभग 110 लाख टन सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने से इसकी शानदार क्रॉसिंग प्रोसेसिंग हुई और तदनुरूप सरसों खल यानी रेपसीड मील का उत्पादन एवं निर्यात योग्य स्टॉक काफी बढ़ गया। कीमत भी प्रतिस्पर्धी या आकर्षक स्तर पर होने से वैश्विक निर्यात बाजार में इसकी जबरदस्त मांग रही जिसके सहारे इसका शिपमेंट उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स ऑफ इंडिया एसोसिएशन के नवीनतम आंकड़े से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के शुरूआती 9 महीनों में यानी अप्रैल-दिसम्बर के दौरान भारत से रेपसीड मील का निर्यात तेजी से उछलकर 16.72 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो इससे पूर्व 2011-12 के रिकॉर्ड निर्यात 12.48 लाख टन से भी काफी अधिक रहा।
दरअसल इस बार भारत से दक्षिण कोरिया, वियतनाम एवं थाईलैंड सहित सुदूर-पूर्व एशिया के अन्य देशों ने विशाल मात्रा में रेपसीड मील का आयात किया क्योंकि यह आकर्षक मूल्य पर सर्वाधिक उपलब्ध था। भारतीय रेपसीड मील का फ्री ऑन बोर्ड औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य महज 255 डॉलर प्रति टन रहा जबकि हैम्बर्ग (जर्मनी) में इसका एक्स मिल भाव 405 डॉलर प्रति टन दर्ज किया गया।
सरसों तेल से अच्छी कमाई होने तथा रेपसीड मील का निर्यात प्रदर्शन शानदार रहने से घरेलू बाजार में सरसों का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊंचे स्तर पर कायम रहा। इसके फलस्वरूप चालू रबी सीजन के दौरान इस सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसल का बिजाई क्षेत्र उछलकर हेक्टेयर के 97 लाख सर्वोच्च सर्वकालीन स्तर पर पहुंच गया है। इससे एक बार फिर सरसों का रिकॉर्ड घरेलू उत्पादन होने की उम्मीद है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान रेपसीड मील का निर्यात अप्रैल 2022 में 2.29 लाख टन, मई में 1.69 लाख टन, जून में 3.09 लाख टन, जुलाई में 1.44 लाख टन, अगस्त में 2.29 लाख टन, सितम्बर में 1.63 लाख टन, अक्टूबर में 99 हजार टन, नवम्बर में 1.35 लाख टन तथा दिसम्बर 2022 में 1.95 लाख टन दर्ज किया गया। आगामी समय में भी इसके शानदार निर्यात का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है।
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