Paddy Procurement : वैसे तो सरकार ने करीब 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Suppport Price) निर्धारित किया हुआ है. ताकि देश के किसान एक सम्मानजनक मूल्य पर अपनी उपज बेच सके. लेकिन इस बात को कोई नहीं देखता कि किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित किया हुआ मूल्य मिल रहा है या नहीं। ऐसा ही मामला चल रहा है बिहार राज्य में। सरकार ने 15 फरवरी तक धान की फसल को खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है।
यह भी पढ़ें : IFFCO NANO DAP: भारत सरकार ने दी नैनो DAP को मंजूरी, 4000 की जगह लगेंगे सिर्फ 600 रूपए
बिहार में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP ) 2040 रूपए प्रति क्विंटल है. परन्तु जमीनी स्तर पर धान की खरीद 1750 प्रति क्विंटल से ज्यादा पर नहीं हो पा रही है. इसका कारण है मंडियों में बैठे हुए बिचोलिये। इन्ही बिचौलियों की मनमर्जी के चलते हुए वहा के किसान अपनी फसल को 1750 प्रति क्विंटल के काम मूल्य में भी बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
Paddy Procurement: अभी भी धान की खरीद पूरी नहीं हो पाई है
Paddy Procurement Status in Bihar : वैसे तो अब तक धान की पूरी खरीद हो जानी चाहिए थी. लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण वहां के किसान काम मूल्य पर बेचना नहीं चाहते। फिर भी लोगो को मजबूरी में बेचनी पद रही है. बिहार में 59 हजार से भी ज्यादा किसानों ने सरकारी खरीद पर धान खरीद के लिए पंजीकरण करवाया हुआ है. इसके तहत कुल 1.92 लाख टन धान की खरीद होनी थी।
परन्तु अब तक सिर्फ 27 किसानों ने ही अपनी फसल बेचीं है। यानि की कुल 1.68 लाख टन धान ही मंडियों में आयी है। अब तक कुल 24000 टन धान मंडियों में नहीं आयी है। इसका मुख्या कारण है किसानों को धान का उचित मूल्य न मिल पाना। बिचौलिया फसल में कुछ न कुछ कमी निकलकर उसको काम मूल्य पर खरीद रहे हैं। जैसे की धान में नमी (Humidity) बता देना, धान में धुल (Dust) होना इत्यादि होने के कारण वो इसका मूल्य 2040 से 1750 या इससे भी काम बता कर खरीद रहे हैं।
यह भी पढ़ें : Subsidy for farmers : गेंहू कटाई की मशीनों पर सरकार दे रही सब्सिडी, रीपर-थ्रेशर ले सकते हैं आधी कीमत में भी !
ये एक बड़ा ही संवेदनशील मुद्दा है. इस पर सरकारों को अवश्य संज्ञान लेना चाहिए।ताकि देश के किसानों को अपनी फसल का उचित दाम मिल सके. और सरकार द्वारा दिया जाने वाला फायदा किसानों तक पहुँच सके। अगर सरकारी मूल्य किसानों को नहीं मिलेगा तो सरकार की इन योजनाओं का लाभ मंडियों में बैठे बिचोलिये लेंगे। जोकि किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं।
यह भी पढ़ें : Pashudhan Bima Yojana: राजस्थान के पशुपालकों को मिलेंगे 750 करोड़ रूपए ! पशु की मौत होने पर मिलेंगे पुरे पैसे !