Paddy Cultivation: देश मेें बड़े पैमाने पर किसानों द्वारा धान की खेती की जाती हैं। धान खरीफ सीजन की प्रमुख फसल भी है। धान से किसान अच्छी उपज तो लेते हैं लेकिन धान को तैयार करने में किसानो की लागत भी अधिक होती है। क्योंकि धान सबसे अधिक पानी आपूर्ति वाली फसल है। अभी आंकड़ों में जानने की कोशिश करेंगे कि धान के पौधे को सिंचाई के लिए कितने पानी की जरूरत होती है। पानी की खपत कैसे कम की जा सकती है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कैसे कम पानी का प्रयोग कर अच्छी फसल उपज ले सकते हैं।
1 हेक्टेयर में 50 लाख लीटर पानी की खपत
देश के अधिकतर हिस्से में लोग चावल खाना पसंद करते हैं। इसी कारण धान की खेती अधिकांश राज्यों में होती है। धान की खेती करने के लिए बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है। एक हेक्टेयर धान की खेती करने में करीब 50 लाख लीटर पानी की आवश्कता होती है। देश में कुछ हिस्से ऐसे भी है जहाँ पानी की कमी के कारण धान की फसल नही बोई जाती। परन्तु इस अन्तराल विधि के इस्तेमाल से बंजर जमीन पर भी किसान धान की खेती करने में सफल रहेंगे।
नर्सरी में इतने पानी की जरूरत पड़ती है
धान की बुवाई करने से पहले उसकी पौध नर्सरी में तैयार में की जाती है। इसे तैयार करने में भी बहुत अधिक पानी लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक किलो धान का प्रॉडक्शन करने में करीब 1800 लीटर से लेकर 4000 लीटर तक पानी प्रयोग में आ जाता है। लेकिन अंतराल विधि से धान की सिंचाई करते हैं तो पानी की खपत को बहुत कम किया जा सकता है।
कम पानी इस तरह करें धान की खेती
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान चाहे तो बंजर भूमि पर भी धान की खेती की जा सकती है। किसानोें को सिंचाई के अंतराल में अंतर लाकर धान की सिंचाई करनी होगी। इसके लिए किसानों को दो से तीन दिन के अंतराल पर धान की सिंचाई करनी होगी। इसके लिए 5 से 10 सेमी ही गहरी सिंचाई करनी होगी। इससे काफी पानी की बचत हो जाती है। इस विधि से किसान कम पानी में भी धान की खेती कर सकेंगे। वहीं, उत्तर प्रदेश में 1.37 मिलियन हेक्टेयर भूमि ऊसर है। इस तरह की भूमि पर खेती करना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन आजकल प्रचालति विधि से इस तरह की खेती की जा रही है।