Banana Cultivation Subsidy: सरकार की तरफ से किसानों की आय बढ़ाने के लिए बहुत से प्रयास किये जाते है। जिसमें उन्हें कई फसलों की खेती पर सब्सिडी का फायदा भी दिया जाता है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की ओर से किसानों को केले की खेती के लिए 62,500 रुपये प्रति हैक्टेयर का अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को टिश्यू कल्चर पद्धति से तैयार केले के पौधे ही अपने खेत में रोपने होंगे ।
केले की टिश्यू कल्चर तकनीक क्या है ?
टिश्यू कल्चर तकनीक के तहत पौधे के ऊतकों का एक छोटा टुकड़ा उसके बढ़ते हुए ऊपरी हिस्से से लिया जाता है। इस टिश्यू के टुकड़े को एक जैली में रखा जाता है जिसमें पोषक तत्व और प्लांट हार्मोन्स होते हैं। ये हार्मोन्स पौधे के ऊतकों में कोशिकाओं को तेजी से विभाजित करते हैं और इनसे कई कोशिकाओं का निर्माण होता है ।
इस तरह यह तकनीक केले की खेती में काफी लाभकारी साबित हो रही है। इस तकनीक के इस्तेमाल से केले की फसल, परंपरागत तरीके के मुकाबले करीब 60 दिन पहले प्राप्त हो जाती है और उत्पादन भी ज्यादा मिलता है ।
केले की खेती पर 62,500 रुपये की सब्सिडी (Subsidy)
बिहार सरकार की ओर से टिश्यू कल्चर तकनीक से केले की खेती के लिए किसानों को लागत की 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। इस तरह किसानों को अधिकतम 62,500 रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से सब्सिडी (subsidy) दी जाएगी। ये सब्सिडी किसानों को दो किस्तों में दी जाएगी। इसमें पहले साल 75 प्रतिशत और दूसरे साल 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। उद्यानकी विभाग की ओर से किसानों को टिश्यू कल्चर पद्धति से तैयार किए गए पौधे भी उपलब्ध कराए जाएंगे। बिहार सरकार कृषि विभाग उद्यान निदेशालय ने ट्वीट में कहा कि केला (टिश्यू कल्चर) की खेती करने वाले किसानों को एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत सब्सिडी मिलेगी। केला (टिश्यू कल्चर) की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार 50 प्रतिशत का अनुदान देगी।
आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज (Documents)
- किसान का आधार कार्ड
- खेती की जमीन के कागजात
- मोबाइल नंबर
- बैंक खाता पासबुक
केले की खेती पर सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें?
टिश्यू कल्चर पद्धति से केले की खेती के लिए आवेदन हेतु आपको बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन करना होगा। इसमें आपको एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत आवेदन करना होगा। योजना के तहत आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं ।