रबी की फसल की कटाई के बाद अब खरीफ की बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है। किसान रबी फसल के विक्रय के बाद खरीफ फसलों की बुवाई के काम में लग जाएंगे। खरीफ फसलों में धान प्रमुख फसल है। इसकी बुवाई में पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है लेकिन गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए हरियाणा सरकार ने किसानों से धान (Paddy Crop) की बुवाई डायरेक्ट सीडिंग तकनीक (Direct Seeding Technique) से करने की सलाह दी है। धान की सीधी बुवाई करने पर किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है । इस तकनीक से भूजल का ज्यादा खतरा नहीं होगा और मिट्टी की संरचना भी बेहतर होगी।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान की पारंपरिक रोपाई की तुलना में सीधी बिजाई में करीब 25-30 प्रतिशत पानी की बचत होती है और श्रम बहुत कम लगता है। इसी के साथ ही सीधी बुवाई तकनीक और पारंपरिक तकनीक से धान की पैदावार करीब समान होती है।
4000 रुपये प्रति एकड़ वित्तीय सहायता पाएं
कृषि तथा किसान कल्याण विभाग हरियाणा सरकार ने ट्वीट में कहा, पानी और पर्यावरण को बचाने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है। आइये इस मुहिम में अपना हिस्सा निभायें। सरकार इस कार्य के लिए आपको वित्तीय सहायता भी देती है। धानी की सीधी बिजाई अपनाएं, पानी व पर्यावरण बचाएं। किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ वित्तीय सहायता मिलेगी।
क्या है DRS तकनीक?
डीएसआर तकनीक के तहत धान के बीजों को एक मशीन की मदद से खेत में रोपा जाता है, जो चावल की बिजाई और हर्बीसाइड का स्प्रे एक साथ करती है। पारंपरिक विधि के अनुसार, पहले धान के पौधों को किसान नर्सरी में उगाते हैं और फिर इन पौधों को उखाड़कर एक निचली जमीन वाले खेत में लगाया जाता है।
पानी की होती है बचत
डीएसआर पद्धति से सिंचाई के लिए बहुत कम पानी की जरूरत होती है। इससे रिसाव में सुधार होता है, कृषि श्रम पर निर्भरता कम होती है और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है और धान की उपज में 5 से 10% की बढ़ोतरी होती है। यह पारंपरिक पोखर विधि (Puddling Method) की तुलना में लगभग 20% तक पानी बचाने में भी मदद करती है।
ड्रिप इरिगेशन पर 80% सब्सिडी
खेती में पानी की बचत के लिए राज्य के किसानों को ड्रिप इरिगेशन पर भी 80% सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। इस सभी सब्सिडी से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल या अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय संपर्क करके किसान जानकारी ले सकते हैं।