Edible oil Price: दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को भी गिरावट का रुख कायम रहा तथा सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन तेल की कीमतों में गिरावट जारी रही, जबकि मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे. बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में फिलहाल गिरावट का रुख है.
सूत्रों ने कहा कि पिछले लगभग दो महीनों में विदेशों में पामतेल का भाव 70-80 डॉलर प्रति टन बढ़ा है. एक सरकारी अधिकारी का नाम गुप्त रखकर एक समाचार माध्यम से खबर सामने आई है कि घरेलू रैपसीड किसानों की मदद करने के लिए पाम एवं पामोलीन पर आयात शुल्क में वृद्धि करने के बारे में सोचा जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि पाम और पामोलीन हमारे देशी नरम तेलों (सॉफ्ट आयल) पर अधिक असर नहीं डालते और बेशक इनके दाम कम करने की मंशा उचित है.
200-210 डॉलर प्रति टन का रह गया है
सूत्रों ने कहा कि पिछले लगभग दो महीनों में पामतेल का दाम 70-80 डॉलर प्रति टन बढ़ा है जो किलो के हिसाब से 6-7 रुपये किलो की वृद्धि को दर्शाता है. जबकि इसी अवधि में सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के दाम 200-300 डॉलर प्रति टन घटे हैं. दो महीने पहले सोयाबीन और सूरजमुखी तेल तथा दूसरी ओर सीपीओ एवं पामोलीन तेल के बीच का अंतर 450 डॉलर प्रति टन का था जो अब सूरजमुखी के मामले में 120 डॉलर और सोयाबीन तेल के मामले में 200-210 डॉलर प्रति टन का रह गया है.
तेल-तिलहनों की खपने की चिंता वास्तविक है
सूत्रों ने कहा कि सरसों जैसे देशी तेल-तिलहनों की खपने की चिंता यदि वास्तविक है तो कायदे से घरेलू नरम तेलों पर असर डालने वाले आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर लगाना चाहिये न कि पाम एवं पामोलीन पर जिसे ज्यादातर कम आय वर्ग के लोग या फिर छोटे कारोबारी या रेस्तरां-होटल वाले इस्तेमाल में लाते हैं. सूत्रों ने कहा कि खुदरा तेल कंपनियों द्वारा निर्धारित किये जाने वाले अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर यदि ध्यान दिया जाये तो तेल-तिलहन कारोबार की एवं उपभोक्ताओं की बहुत सी उलझनें खुद ब खुद समाप्त हो जायेंगी और उपभोक्ता वैश्विक कीमतों में आई गिरावट का यथोचित लाभ ले पाने की स्थिति में होंगे.
सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें भी पूर्वस्तर पर बनी रहीं
सूत्रों ने कहा कि सरसों की नई फसल की आवक के बाद दाम टूटने एवं कई जगहों पर दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे होने के कारण सरसों तेल- तिलहनों में गिरावट है. सस्ते आयातित तेलों की भरमार के बीच मांग कमजोर होने से सोयाबीन तेल कीमतों में भी गिरावट है. दूसरी ओर डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग होने से सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे. अपेक्षाकृत सस्ता होने की वजह से मांग रहने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें भी पूर्वस्तर पर बनी रहीं.
सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे | Edible oil Price
- सरसों तिलहन – 5,395-5,445 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल.
- मूंगफली – 6,825-6,885 रुपये प्रति क्विंटल.
- मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,700 रुपये प्रति क्विंटल.
- मूंगफली रिफाइंड तेल 2,560-2,825 रुपये प्रति टिन.
- सरसों तेल दादरी- 11,250 रुपये प्रति क्विंटल.
- सरसों पक्की घानी- 1,775-1,805 रुपये प्रति टिन.
- सरसों कच्ची घानी- 1,735-1,860 रुपये प्रति टिन.
- तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,980 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,300 रुपये प्रति क्विंटल.
- सीपीओ एक्स-कांडला- 9,080 रुपये प्रति क्विंटल.
- बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,97 0 रुपये प्रति क्विंटल.
- पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,550 रुपये प्रति क्विंटल.
- पामोलिन एक्स- कांडला- 9,640 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन दाना – 5,310-5,440 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन लूज- 5,050-5,070 रुपये प्रति क्विंटल.
- मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल.