बीटी कॉटन की नई जीएम किस्म: जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी, GEAC ने डीसीएम श्रीराम ग्रुप की हैदराबाद स्थित कंपनी बायोसीड रिसर्च लिमिटेड की हाइब्रिड कपास की जेनेटिकली इंजीनियर्ड, जीई किस्म के फील्ड ट्रायल को मंजूरी दे दी है। इस प्रजाति में क्राई2एआई जीन का उपयोग किया गया है, जो कपास में पिंक बॉलवर्म की बीमारी को रोकता है।
सूत्रों के अनुसार जीईएसी ने इसके बीआरएल-1 को ट्रायल की मंजूरी दे दी है जोकि एक साल के लिए होती है। जीईएसी की 17 मई, 2023 को हुई 149वीं बैठक में क्राई2एआई जीन वाली जेनेटिकली इंजीनियर्ड, जीई किस्म के फील्ड ट्रायल वाले जीईएसी की इसकी पिछली बैठक में मंजूर प्रस्ताव से संबंधित मिनट्स को मंजूरी दी गई है। इसके अगले चरण में बीआरएल-2 का ट्रायल होता है।
सूत्रों के अनुसार बायोसीड की हाइब्रिड कपास जीई किस्म के लिए ट्रालय हरियाणा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और गुजरात में करने की मंजूरी दी गई थी, लेकिन हरियाणा को छोड़कर बाकी तीनों राज्यों ने कपास की इस किस्म के ट्रायल की अनुमति देने से इंकार कर दिया है।
हालांकि जीईएसी ने कपास की हर्बीसाइड टॉलरेंट बीटी कॉटन, एचटीबीटी किस्म जिसे बॉलगार्ड टू राउंडअप रेडी फ्लेक्स, बीजी टू आरआरएफ के नाम से भी जाना जाता है को मंजूरी नहीं दी है। इसके लिए महाराष्ट्र की कंपनी म्हाइको प्राइवेट लिमिटेड ने आवेदन किया था। जीईएसी ने म्हाइको को इस किस्म के प्रभाव और इसके सामाजिक आर्थिक परिणामों के बारे में और अधिक जानकारी देने के लिए कहा है।
तेलंगाना, महाराष्ट्र और गुजरात ने ट्रायल से किया इंकार
बायोसीड की हाइब्रिड कपास के जीई किस्म के फील्ड ट्रायल के लिए हरियाणा के हिसार में बरवाला को चुना गया है। तेलंगाना के जनवाडा, महाराष्ट्र के जालना और अकोला को फीड ट्रालय के लिए चुना गया है। वहीं गुजरात के जूनागढ़ को फील्ड ट्रायल के लिए चुना गया था। मगर तेलंगाना, महाराष्ट्र और गुजरात ने ट्रायल की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। जबकि कपास में पिंक बॉलवर्म की बीमारी सबसे ज्यादा महाराष्ट्र और गुजरात में ही होती है।