नई दिल्ली: जूट किसानों को फायदा देने के लिए केंद्र सरकार ने पैकेजिंग में जूट (Jute Packaging Bags) के अनिवार्य उपयोग के नियमों को आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जूट वर्ष 2022-23 (एक जुलाई, 2022 से 30 जून, 2023) के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य इस्तेमाल के आरक्षण संबंधी नियमों को मंजूरी दी। इन नियमों के तहत खाद्यान्न की 100% और चीनी की 20% पैकिंग जूट बैग में करना अनिवार्य है। इससे जूट उद्योग को काफी बल मिलने की संभावना है।
सरकार करती है इनकी खरीदारी
सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 9,000 करोड़ रुपए मूल्य के जूट के बोरे खरीदती है, जिससे जूट किसानों और कामगारों को उनकी उपज के लिए गारंटीशुदा बाजार सुनिश्चित होता है। जूट उद्योग के कुल उत्पादन में 75% हिस्सेदारी जूट के बोरे (सैकिंग बैग) की है, जिसमें से 85% की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) को की जाती है।
40 लाख किसानों को होगा फायदा
केंदीय कैबिनेट के इस फैसले से करीब 40 लाख जूट किसानों को फायदा होगा। इस फैसले से ग्लोस्टर, चैवियट, लुडलो जूट जैसी जूट कंपनियों को भी फायदा हो सकता है। ये तीनों कंपनियां जूट से जुड़े कारोबार में हैं और ये शेयर बाजार में भी लिस्टेड हैं।
इस फैसले से इन कंपनियों के शेयर भी चढ़ सकते हैं। हर साल करीब 8,000 करोड़ रुपए का जूट किसानों से खरीदा जाता है। इसका प्रसंस्करण जूट मिलों में होता है। इन नियमों को मंजूरी मिलने से जूट मिलों और अन्य संबद्ध इकाइयों में कार्यरत 3.7 लाख मजदूरों को भी फायदा होगा।