सरसों की कीमत में आई भारी गिरावट से राजस्थान में सरसों उत्पादक किसान (Mustard Farmer) सरकार से काफी नाराज नजर आ रहे हैं। किसानों की इस नाराजगी की का कारण पाम ऑयल (Palm Oil) का ड्यूटी फ्री होना है । जिसे लेकर टोंक में किसान धरने पर बैठे हैं। सुनवाई नहीं होने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी है। खाने का तेल एक ऐसी चीज है जिसके सस्ता होने पर जहां ग्राहकों को फायदा होता है तो किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है।
एक तरफ जहां हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ जमकर पाम ऑयल का आयात (Import of Palm Oil) कर रहे हैं। पछले 3 वर्षों में पाम ऑयल का आयात तेजी से बढ़ा है। देश में सस्ता पाम ऑयल आ रहा है। बाजार में सस्ता पाम ऑयल आने से देशी तेलों के दाम काफी घट गए हैं। यही नहीं, पाम ऑयल को सरसों सहित कई देशी तेलों में मिलाकर बेचा जा रहा है। इससे लोगों की हेल्थ को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है।
सरसों से आधे रेट में मिल रहा पाम तेल
सस्ते पाम ऑयल के कारण सरसों किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। किसानों को एमएसपी (MSP) से नीचे अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। सरसों के दाम (Sarso price) दिनों-दिन गिर रहे हैं। पिछले साल सरसों का औसत भाव 7 हजार रुपये प्रति क्विंटल था। लेकिन इस बार भाव 4300-5000 रुपये प्रति क्विंटल है। इससे किसानों को मुनाफा नहीं मिल रहा है। पाम ऑयल सरसों से भी आधी रेट में मिल रहा है। किसानों की मांग है कि आयात हो रहे पाम ऑयल पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाए।
6 महीने में 53% बढ़ा पाम ऑयल का आयात
नवंबर 2022 से अप्रैल 2023 के बीच छह महीनों में पाम ऑयल का आयात सालाना आधार पर 53 फीसदी उछल गया। इससे खाद्य तेल का आयात जिसमें सूरजमुखी और कुछ सोयाबीन भी शामिल है, 6 महीने में 8.1 मिलियन टन हो गया है। एक साल पहले की समान अवधि से यह 21 फीसदी ज्यादा है। वैश्विक कीमतें गिरने और आयात शुल्क काफी कम होने से भारत इंडोनेशिया और मलेशिया से काफी पाम ऑयल का आयात कर रहा है।
पिछले साल भारत ने 1.4 करोड़ टन ऑयल किया इंपोर्ट
ऑयल ईयर 2021-22 (नवंबर 2021 से अक्टूबर 2022) में भारत ने 14 मिलियन टन वेजिटेबल ऑयल का आयात किया था। इस पर 1.6 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। यह साल-दर-साल 34 फीसदी अधिक है। वहीं, यह साल 2019-20 में हुए खर्च (71,625 करोड़ रुपये) से दोगुना है। ऑयल ईयर 2017-18 में भारत ने 66,942 करोड़ रुपये में 14.5 मिलियन टन वेजिटेबल ऑयल आयात किया था। वहीं, साल 2021-22 में भारत ने 1,56,800 करोड़ रुपये में 14 मिलियन टन वेजिटेबल ऑयल आयात किया है।
60% तेल आयात करते हैं हम
भारत अपनी कुल तेल खपत का करीब 60 फीसदी आयात करता है। पिछले साल जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तो खाद्य तेलों की कीमतों काफी बढ़ गई थीं। इसके बाद इसमें धीरे-धीरे गिरावट आई। इस साल अप्रैल तक खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतें 45 फीसदी घट गई हैं। इससे तेलों की घरेलू कीमतें भी करीब 12.3 फीसदी गिर चुकी हैं। इससे भारतीय ग्राहकों को काफी फायदा हुआ है। लेकिन किसान नुकसान में जा रहे हैं। इस समय सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP of Sarso) 5,450 रुपये प्रति क्विंटल है।