बजट 2025: मोदी सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत आने वाले प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की न्यूनतम मासिक पेंशन में इज़ाफ़ा कर सकती है। सरकार EPS-95 (Employees’ Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन को ₹1,000 से बढ़ाकर ₹7,500 प्रति माह करने पर विचार कर रही है। यह प्रस्ताव बजट 2025 में शामिल हो सकता है, यदि सरकार इस प्रस्ताव पर मुहर लगाती है तो इससे प्राइवेट सेक्टर के लाखों पेंशनभोगियों को बड़ा फायदा मिल सकेगा ।
EPS-95: मौजूदा स्थिति
EPS-95 EPFO द्वारा संचालित एक योजना है, जो निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
- वर्तमान न्यूनतम पेंशन: ₹1,000 प्रति माह (2014 से लागू)।
- पेंशनभोगियों की स्थिति: 36.60 लाख से अधिक पेंशनभोगी अभी भी ₹1,000 से कम पेंशन पाते हैं, जो दैनिक जरूरतों के लिए अपर्याप्त है।
पेंशन वृद्धि की मांग और सरकार का रुख
EPS-95 National Agitation Committee और अन्य समूह लंबे समय से इस मांग को उठा रहे हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए ईपीएस-95 पेंशनभोगियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 10 जनवरी, 2025 को बजट पूर्व परामर्श बैठक के हिस्से के रूप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की।
उनका अनुरोध न्यूनतम 7,500 रुपये की मासिक पेंशन, महंगाई भत्ता (डीए) में वृद्धि और पेंशनभोगियों और उनके पति या पत्नी दोनों के लिए फ्री मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए था। निर्मला सीतारमण ने ईपीएस-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों की समीक्षा की जाएगी।
यदि न्यूनतम पेंशन ₹1,000 प्रति माह से बढ़ाकर ₹7,500 की जाती है, तो इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा:
- आर्थिक सुरक्षा: पेंशनभोगियों को बेहतर वित्तीय स्थिरता मिलेगी।
- जीवन स्तर में सुधार: अधिक पेंशन से वे स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों पर बेहतर खर्च कर सकेंगे।
- सामाजिक सुरक्षा: यह कदम वृद्ध पेंशनभोगियों को अधिक आत्मनिर्भर बनाएगा।
बजट 2025 में संभावित प्रभाव
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो:
- पेंशनभोगियों की राहत: लाखों लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा।
- अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: बढ़ी हुई पेंशन से घरेलू खर्च में वृद्धि होगी।
- सामाजिक सुरक्षा में सुधार: यह कदम वृद्ध गरीबी को कम करने में मदद करेगा।
कर्मचारी पेंशन योजना में पीएफ से कितना योगदान होता है?
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) भारत में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाली प्रमुख योजनाएं हैं। नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का योगदान EPF के तहत होता है, लेकिन इसमें से एक हिस्सा EPS के लिए आवंटित किया जाता है।
EPF योगदान का वितरण:
- कर्मचारी का योगदान:
कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते (DA) का 12% EPF में जमा करता है। - नियोक्ता का योगदान:
नियोक्ता भी कर्मचारी के मूल वेतन का 12% योगदान करता है, लेकिन इसका वितरण दो योजनाओं के बीच होता है:- 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है।
- 3.67% कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में रहता है।
उदाहरण:
यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन ₹15,000 है:
- कर्मचारी द्वारा EPF में योगदान: ₹15,000 का 12% = ₹1,800
- नियोक्ता द्वारा कुल योगदान: ₹1,800
- EPS (8.33%): ₹1,249.50
- EPF (3.67%): ₹550.50
EPS का महत्व:
EPS के तहत दिया गया 8.33% योगदान सेवानिवृत्ति, मृत्यु, विकलांगता या परिवार पेंशन के रूप में पेंशनभोगियों और उनके परिवारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
निष्कर्ष
न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी का यह प्रस्ताव बजट 2025 का महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। यह न केवल मौजूदा पेंशनभोगियों के लिए राहत लेकर आएगा, बल्कि भारत के सामाजिक सुरक्षा तंत्र को भी मजबूत करेगा।
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