Business Idea In Hindi : देश की अधिकांश आबादी खेती-किसानी के जरिए अपना भरण पोषण करती है। खेती को लेकर आम धारणा बन गई है कि इससे मुनाफा अर्जित नहीं किया जा सकता है। लेकिन लोगों की ये धारणा बिल्कुल भी सही नहीं है। कृषि से भी आजकल के दौर में लाखों में कमाई की जा सकती है। बस ज़रूरत है तो केवल सही तकनीक और बाजार की माँग के अनुसार पैदावार उगाने की।
अगर आप भी खेती के जरिए मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आप बांस की खेती (Bamboo farming) कर सकते हैं जिसे इसे ग्रीन गोल्ड यानी हरा सोना भी कहा जाता है । बांस की खेती के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज चौहान सरकार 50% तक सब्सिडी भी मुहैया करा रही है। देश में बहुत कम किसान हैं जो बांस की खेती करते हैं। बांस की डिमांड दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
ऐसे करें बांस की खेती
कृषि एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ बांस की खेती (Bans ki Kheti) अन्य फसलों के मुकाबले बेहद सुरक्षित मानी जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि किसी भी मौसम में खराब नहीं होती है। बांस की फसल को एक बार लगाकर कई साल तक इससे मुनाफा कमाया जा सकता हैं। बांस की खेती में कम खर्च कम और कम मेहनत में मोटी कमाई की जा सकती है। इसके लिए भूमि का उपजाऊ होना भी ज़रूरी नहीं ।
किसी भी नर्सरी से बांस के पौधे खरीदकर लगा सकते हैं। इसकी खेती के लिए जमीन तैयार करने की भी जरूरत नहीं होती है। बांस की खेती के लिए जो बात ध्यान में रखने वाली है वो ये है कि इसके लिये मिट्टी बहुत अधिक रेतीली नहीं होनी चाहिए।
बांस की रोपाई के लिए 2 फीट गहरा और 2 फीट। चौड़े गड्ढे की ज़रूरत पड़ेगी । गढ़ा खोदने के बाद इसमें गोबर की खाद डाल सकते हैं। रोपाई के तुरंत बाद पौधे को पानी दें और एक महीने तक रोजाना पानी देते रहें। 6 महीने के बाद हर एक हफ्ते में इसे पानी दें। एक हेक्टेयर जमीन में बांस के 625 पौधे लगाए जा सकते हैं।
सिर्फ तीन महीने में बांस के पौधे की ग्रोथ होने लगती है। समय-समय पर बांस के पौधों की कटाई-छंटाई करनी पड़ती है। 3-4 साल में बांस की फसल तैयार हो जाती है। बता दें कि भारत सरकार ने देश में बांस की खेती (Bamboo Farming) को बढ़ावा देने के लिए साल 2006-2007 में राष्ट्रीय बांस मिशन शुरू किया था।
बॉंस मिशन प्रभाग का उद्देश्य:-
- वन एवं वनेत्तर क्षेत्रों में बॉंस रोपण को बढ़ावा देने हेतु बॉंस के पौधों की उपलब्धता किसानों को सुनिश्चित कराया जाना एवं किसानों को बॉंस रोपण हेतु प्रोत्साहित करना।
- हितग्राहियों की कृषि आय में वृद्धि करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में योगदान सुनिश्चित करना।
- बॉंस आधारित कुटीर उद्योगों का प्रोत्साहन करना एवं उनका विकास सुनिश्चित करना।
- बॉंस प्रसंस्करण केन्द्रों को पुर्नजीवित करना एवं सुचारू रूप से संचालित करना।
- बॉंस उत्पादों के बाजार की पहचान कर शिल्पकारों को बाजार दिलाने हेतु समुचित समन्वय सुनिश्चित करना।
बांस का इस्तेमाल
सरकार की तरफ से इस फसल के लिए सब्सिडी भी दी जाती है। कागज बनाने के अलावा बांस का उपयोग कार्बनिक कपड़े बनाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही कई सजावटी वस्तुओं के लिए भी बांस का उपयोग किया जाता है।
बांस की खेती से कमाई
बांस की फसल की 40 साल तक चलती रहती है। 2 से 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद बांस की खेती (Bamboo Farming) से कई सालों तक बंपर कमाई की जा सकती है। बांस की खेती से 4 साल में 40 लाख रुपये कमा सकते हैं। कटाई के बाद भी ये दोबारा बढ़ जाते हैं। बांस लकड़ियों का इस्तेमाल कर कई तरह के सामान बना सकते हैं। इससे आपका मुनाफा कई गुना बढ़ जाएगा। बांस की खेती के साथ में तिल, उड़द, मूंग-चना, गेहूं, जौ या फिर सरसों की फसल भी उगाई जा सकती है। इससे कमाई बढ़ जाएगी। इसे भी पढ़े : Business Idea (Work From Home): घर के छोटे से कमरे मे काम कर कमाए लाखों रुपए
बांस के पौधे की कीमत कितनी है?
बाजार में बांस की क़ीमत 2,500 से 3,000 रुपये प्रति टन के करीब है।