नई दिल्ली : नए संसद भवन का उद्घाटन के अवसर पर जहाँ कई पार्टियां पीएम नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी दिखाई दी वहीं कई पार्टियों ने इसका जम कर विरोध भी किया है। राजदंड सेंगोल को भी नए संसद भवन में स्थापित कर दिया गया है। नया संसद भवन सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से तो लैस है ही साथ ही पुराने संसद भवन की तुलना में बड़ा भी है। नए संसद भवन में सांसदों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह है, जिसमे 1272 सांसद एक साथ बैठ सकते है।
नए संसद भवन के निर्माण पर कितना हुआ खर्च
यदि बात खर्च की तो मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नए संसद भवन के निर्माण में लगभग 800 से 1200 करोड़ रुपये तक खर्च हुआ है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि त्रिभुज के आकार में बना यह संसद भवन राष्ट्रीय फूल कमल और राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर डिजाईन इसमें चार मंजिल बनी हुई है। क्षेत्रफल की दृष्टि से संसद भवन का निर्माण 64,500 वर्गमीटर में किया गया है।
आधुनिक सुविधाओं से है लैस
नए संसद भवन का आकर त्रिभुजाकार होने के कारण इसमें तीन द्वार बनाये गए हैं, ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार जिन्हें नाम दिया गया हैं। गुजरात की एक आर्किटेक्चर फर्म ‘एचसीपी डिजाइंस’ द्वारा भवन का डिजाईन तैयार किया गया है, और निर्माण कार्य टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा पूरा किया गया। इस भवन में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों का प्रयोग किया गया है। मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा का हिस्सा यह भवन बहुत कम समय में तैयार किया गया है जो रिकॉर्ड समय बन गया है।
इसमें अलग-अलग मंत्रालयों के 120 ऑफिस है जिसमे प्रधानमंत्री का ऑफिस भी शामिल हैं। पीएम और राष्ट्रपति के प्रवेश के लिए इस भवन में अलग से एंट्रेंस है। मयूर थीम पर आधारित लोकसभा चैंबर 3015 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। जिसमें 888 सांसदों के बैठने की सुविधा दी गयी है। सेक्योरिटी की दृष्टी से नया संसद भवन पूरी तरह सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में है। संसद भवन में अत्याधुनिक पेपरलेस संचार उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है।
निर्माण के लिए इन जगहों से मंगाई गई सामग्री
नए संसद भवन में बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है जो राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया, वहीं सागौन (टिक वुड) की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लायी गई है। इंटीरियर डिजाइनिंग की बात करे तो मिर्जापुर से लाई गई कालीन का इस्तेमाल किया गया है। बांस की लकड़ी अगरतला से लाई गई है। अशोक चक्र इंदौर से लाया गया है।
फ्लोरिंग के लिए बांस की लकड़ी त्रिपुरा राजधानी अगरतला से लायी गई है। जाली वर्क्स स्टोन राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाए गए हैं। महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से अशोक प्रतीक की सामग्री को लाया गया है। लाल रंग का लाख राजस्थान के जैसलमेर से मंगवा गया है। राजस्थान के अंबाजी से सफेद संगमरमर पत्थर मंगवाए गए हैं। केसरिया ग्रीन स्टोन राजस्थान के उदयपुर से मंगवाया गया है। एम-सैंड को हरियाणा के चकरी दादरी, फ्लाई ऐश ब्रिक्स को एनसीआर हरियाणा और उत्तर प्रदेश से खरीदा गया था। ब्रास वर्क और प्री-कास्ट ट्रेंच गुजरात के अहमदाबाद से लिए गए। एलएस/आरएस फाल्स सीलिंग स्टील संरचना दमन और दीव से ली गई।