Animal Feed: गर्मियों में इंसानों से लेकर जानवरों तक सबकी सेहत डगमगा जाती है. जहां किसान फसलों को लेकर चिंता में रहते है वहीं पशुपालक पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर हो जाते है. भीषण गर्मी और लू लगने से दुधारू पशु दूध देना बंद कर देते हैं.
पशु विशेषज्ञों का कहना है गर्मी में गाय-भैसों की देखभाल के साथ हरे चारे की तरफ भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है दिन में दो बार हरा चारा ना सिर्फ पशुओं की सेहत को दुरुस्त रखता है, बल्कि ये पशुओं में हाइड्रेशन भी बढ़ाता है. पशुओं को प्रतिदिन हरा चारा खिलाने से दूध की मात्रा में भी वृद्धि होती है. जानने वाली बात यह है कि गर्मी में पशुओं को कौन कौन सा पशु चारा खिलाएं?
नेपियर घास (Napier grass)
गन्ने की तरह दिखने के कारण इसे पशुओं का गन्ना भी कहते हैं. यह सुपर नेपियर, हाथी घास के नाम से भी जाना जाता है इसे थाईलैंड से भारत लाया गया है. खास बात यह है कि किसान इसे बंजर जमीन पर या खेत की मेड पर भी उगा सकते हैं. साधारण चारे के मुकाबले नेपियर घास में 20% अधिक प्रोटीन और 30 से 40 फीसदी क्रूड फाइबर होता है. एक बार नेपियर घास की हार्वेस्टिंग लेने के बाद इसकी हर 45 दिन में कटाई कर सकते हैं.
कंबाला चारा-
जिन पशपालकों के पास खेती योग्य जमीन नहीं होती. ऐसी स्थिति में वो अपने घर के अंदर या पशु बाड़े में चारा उगा सकते हैं. इसके लिए कंबाला मशीन का अविष्कार किया गया है, यह एक अलमारीनुमान संरचना है. इसे हाइड्रोपॉनिक्स कंबाला मशीन भी कहते हैं. सौर ऊर्जा से चलने वाली यह मशीन में एक बार चारे का बीज डालकर सालों साल हरा चारा उगा सकती हैं.
अजोला पशु चारा-
पानी पर उगने वाली इस घास को अजोला के नाम से जाना जाता है है. इसे पशुओं का प्रोटीन सप्लीमेंट भी कहते हैं, जिसमें लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, तांबा, मैंगनीज समेत कई खनिज तत्व पाए जाते हैं. अजोला में पशुओं के विकास और दूध की उत्पादकता बढ़ाने वाले मेन न्यूट्रिएंट्स- अमीनो एसिड, प्रोबायोटिक्स, बायो-पॉलिमर और बीटा कैरोटीन और विटामिन ए और विटामिन बी-12 भी पाया जाता है.
चारा चुकंदर-
चकुंदर फल न केवल इंसानों में खून की मात्रा को बढ़ाता है बल्कि आयरन से भरपुर होने के कारण पशुओं के लिए भी बेहद फायदेमं रहता है. राजस्थान के जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान पशुओं के लिए चारा चुकंदर यानी चारा बीट लेकर आया है. पशुओं में दूध बढ़ाने के लिए साहयक है साथ ही इसको उगने में मात्र 50 पैसे से भी कम की लागत आती है. बंजर जमीन पर भी यह आसानी से उगाया जा सकता हैं. इस चारे को सूखे चारे के साथ मिलाकर खिलाया जाता है. पशुओं पर इसके काफी अच्छे परिणाम हैं.
मक्खन घास-
मक्खन घास को बरसीम से अधिक प्रभावशाली बताया जाता है. इसमें 14 से 15 फीसदी प्रोटीन होता है, जिससे पशुओं की सेहत दुरुस्त हो जाती है. साथ ही 20-25 फीसदी तक दूध उत्पादकता में वृद्धि होती है. खास बात ये भी है की जहां बरसीम चारे में कीड़े लगने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं मक्खन घास पर कीट-रोगों का कोई बुरा प्रभाव नही होता.
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