Google Doodle Today : गूगल डूडल मना रहा है फ्रेंच आर्टिस्ट रोसा बोनहर का 200वां जन्मदिन, Rosa Bonheur बनाया करती थी जानवरो की तस्वीरें, जिससे उन्हें 19वीं शताब्दी में शानदार महिला आर्टिस्ट की मिली पहचान। जानें – Rosa Bonheur google doodle in Hindi
पूरा नाम | मैरी-रोसाली बोनहर (Marie-Rosalie Bonheur) |
प्रसिद्धी | यथार्थवादी पशु चित्र और मूर्तियां। 19वीं सदी की सबसे प्रसिद्ध महिला चित्रकार मानी जाती हैं। |
जन्म | 16 March 1822, Bordeaux, France |
माता-पिता | सोफी मार्क्विस और ऑस्कर-रेमंड बोनहेउर |
मृत्यु | 25 May 1899, Thomery, France |
शिक्षा | उनके पिता द्वारा प्रशिक्षित, जो एक परिदृश्य और चित्र चित्रकार और कला शिक्षक थे |
माध्यम | पेंटिंग, मूर्तिकला |
कला आंदोलन | यथार्थवाद |
सेलेक्टेड वर्क्स | प्लॉइंग इन द निवर्नाइस (1949), द हॉर्स फेयर (1855) |
दो सदी पहले सिर्फ हिंदुस्तान ही नही समूची दुनिया मे महिलाओं के लिए कला के दरवाजे उतने नही खुले थे जितना पुरुषों के लिए खुला था लेकिन रोसा बोनहर में मानो वो कला जन्म से ही थी।
एक चित्रकारी बनाने वाले घर में जन्मी रोज़ा बोलना शुरू करने से पहले ही आर्ट पेंसिल ब्रश चलाने लगी थी। अपने लैंडस्केप और पोट्रेट आर्टिस्ट पिता के साथ और सिख से रोज़ा कुछ ही वर्षो में फ्राँस के सबसे बेहतर महिला स्केच आर्टिस्ट में से एक बन गयी।
उनके शानदार वाइल्डलाइफ आर्ट जिनमे घोड़े,शेर और दूसरे जानवरो की तस्वीरें होती थी इतनी रैलस्टिक होती थी कि मानो अब ये गुर्राने और हिनहिनाने लगे।उनके द्वारा बनाये गए चित्रकारी और कई सदी तक महिलाओं को प्रेरित करने के लिए गूगल ने अपने डूडल से उनके 200वीं जन्मदिन पर चित्रकारी को बनाकर उन्हें समर्पित किया।
फ्राँस के बोरडॉक्स में 16 मार्च 1822 में जन्मी रोज़ा के लिए स्कूल के दिन आसान नही थे। शुरुवाती दिनों में उन्होंने सिर्फ अपनी माँ की मदद से लिखना पढ़ना सीखा। उनकी माँ उन्हें हर अल्फाबेट के बाद एक जानवर बनाने को कहती और वो बनाती। स्कूलों के बुरे बर्ताव का असर उनके विद्रोही व्यवहार में साफ दिखने लगा था।
लगातार प्रयासों के बाद भी जब अकादमिक पढ़ाई में उन्हें सफलता नही मिल पा रही थी तो 12वे वर्ष की आयु में उनके पेंटर पिता ने उन्हें स्केच एवम आर्ट की ट्रेनिंग देनी शुरू की।
जानवरों की वो तस्वीरें जो उनकी माँ उनसे बनवाया करती थी अब उन्हें बनाने में फिर से उनकी रुचि जगी और वो पेरिस के लौरे म्यूजियम में लगी जानवरो की तस्वीरों का नकल बनाने लगी।
शुरुवाती सफलता के रूप 1849 में उनकी एक बैल की हल जोतती तस्वीर को प्रसिद्धि मिली जो एक आयल पेंटिंग थी।आज यह तस्वीर पेरिस के “म्यूजेडार्सी” में लगी है।
उनकी एक 8 फ़ीट ऊँचे और 16 फ़ीट लंबे घोड़े के मेले की तस्वीर को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली जिसे उन्होंने 1855 में बनाकर पूरा किया था। दस वर्षों के बाद महारानी एगीन के द्वारा उन्हें ग्रैंड क्रेस ऑफ द लीजन का सम्मान दिया गया।पहली बार यह सम्मान एक महिला पैंटर को मिला था।
77 वर्ष की आयु में 1899 में उनकी मृत्यु हो गई।