Ustad Zakir Hussain: संगीत जगत के महान तबला वादक और ग्रैमी अवॉर्ड विजेता उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। जाकिर हुसैन को दिल की बीमारी थी और हाल के दिनों में उनकी तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था।
तबले की धुन से दुनिया को किया मंत्रमुग्ध
9 मार्च 1951 को जन्मे जाकिर हुसैन ने तबले की कला को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया। उन्होंने अपने पिता और मशहूर तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा से इस कला को सीखा। जाकिर हुसैन ने 11 साल की उम्र में अपना पहला कॉन्सर्ट दिया और 12 साल की उम्र में अपने पिता के साथ परफॉर्म करना शुरू किया।
सम्मान और उपलब्धियां
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। हुसैन तीन बार ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाले पहले भारतीय तबला वादक थे। उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण, और 2023 में पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। 2016 में, उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में आमंत्रित किया गया था, जहां उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
फिल्मी करियर में भी आजमाया हाथ
उस्ताद जाकिर हुसैन न केवल एक महान संगीतकार थे, बल्कि उन्होंने अभिनय में भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने शशि कपूर के साथ ब्रिटिश फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ (1983) से एक्टिंग डेब्यू किया। इसके बाद वह 1998 की फिल्म ‘साज’ में नजर आए, जिसमें शबाना आजमी ने उनकी प्रेमिका का किरदार निभाया था।
पारिवारिक जीवन
जाकिर हुसैन ने कथक डांसर और टीचर एंटोनिया मिनेकोला से शादी की थी, जो उनकी मैनेजर भी थीं। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं।
संगीत जगत में अमिट छाप
जाकिर हुसैन की कला ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी। उनका निधन संगीत प्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी यादें और उनका संगीत हमेशा जीवित रहेगा।