सरसों भाव से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी, तेजी मंदी की लेटेस्ट रिपोर्ट मई-जून 2022
नई दिल्ली : सरसों की फसल (Mustard Crop) की बुवाई नवंबर से दिसंबर के महीने में कर दी जाती है, तथा मार्च से अप्रैल का महीना फसल की कटाई का होता है । इस समय सरसों की फसल कृषि उपज म्न्द्यों में बिकने के लिए आ रही है , प्रतिदिन बाज़ार में सरसों के भाव में तेजी-मंदी का दौर देखने को मिल है। हालाँकि इस बार सरसों का रेट सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रूपए प्रति क्विंटल से अधिक है । कृषि उपज में भी सरसों का भाव काफी चर्चा में है ।
सरसों का भविष्य क्या रहेगा ?
सरसों के भविष्य को लेकर कुछ विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे हैं। रेप मस्टर्ड प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन विजय डाटा के अनुसार आगामी एक माह में सरसों में तेजी की संभावना नहीं है। उनका मानना है कि इस साल सरसों का उत्पादन 110 लाख टन हो सकता है और इंडोनेशिया के पाम तेल निर्यात शुरु होने के बाद सरसों तेल की मांग और कम हो सकती है। आयातित तेलों का भाव घटने से सरसों रिफाइंड में पैरिटी नहीं रहेगी। गर्मी का सीजन होने के कारण खाद्य तेलों की खपत घटने से सरसों में आगामी एक माह तक बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।
सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फार ऑयल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड के चेयरमैन सुरेश नागपाल कहते हैं कि सरसों का तेल सस्ता होने के कारण मानसून में इसकी मांग बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सरसों की आपूर्ति में कोई समस्या नहीं है लेकिन सरसों का तेल सबसे सस्ता होने के कारण मांग कमजोर नहीं होगी और मंदा होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि एक माह तक सरसों तेल का भाव रेंज बाउंड रह सकता है।
वहीं खेत खजाना के विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों जितनी अब तक बाजार में आ चुकी है उसका बड़ा हिस्सा रिफाइंड बनने में गया है और सरसों तेल का उत्पादन कम हुआ है जिससे आने वाले दिनों में सरसों तेल की लागत बढ़ने के बाद मांग ठीक हो सकती है।
फरवरी से लेकर अब तक करीब 42 लाख टन सरसों की क्रशिंग हो चुकी है और आवक निरंतर कमजोर हो रही है। जून के बाद आवक में और कमी आ सकती है। आने वाले दिनों में क्योंकि कहीं बड़ा स्टॉक नहीं हो रहा है और किसान कमजोर भाव पर बेचने को तैयार नहीं है इसलिए सरसों की शॉर्टेज पैदा हो सकती है।
विशेषज्ञों ने कहा कि जून के अंत से पहले सरसों का रिफाइंड बनना बंद हो जाएगा और केवल सरसों का तेल बनाया जाएगा। सरसों तेल में ब्लेंडिंग बैन होने के कारण शुद्ध तेल उपलब्ध करवाने के लिए तेल मिलों को सरसों की खरीद करनी होगी। इसलिए जून के बाद सरसों में तेजी बन सकती है। जयपुर 42 प्रतिशत का भाव 7500-8000 तक जा सकता है।
आज का सरसों का भाव 2022 (Today Sarso Ka Bhav)
वर्तमान में देखा जाए तो सरसों में तेजी और मंदी का दौर एक साथ बना हुआ है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सरसों का ताज़ा भाव 6,200 से 6500 रुपये बाजार में आ चुका है, चूंकि आवक सामान्य स्थिति में है। माना जा रहा है कि जैसे ही आवक में थोड़ी कमी होगी, सरसो के भाव बढ़ने के कगार पर होंगे, भाव 7,000 रुपये तक भी जाने का अनुमान है।
Aaj Sarso ka Bhav Kya Hai : सरकार ने 2022-23 के लिए सरसो का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रूपए प्रति क्विंटल रखा है। मई के महीने में आज का सरसो का भाव 6000 से 7300 रूपए प्रति क्विंटल चल रहा है, जो आने वाले समय और भी बढ़ सकता है।
Mustard Seed Price in India (Sarson) Mandi Wise 23-05-2022
सरसों की मंडी | सरसों का भाव (रुपए प्रति क्विंटल) |
जयपुर | 7175 |
कोलकाता | 7200 |
कानपुर | 7000 |
अदानी विल्मर | 7000 |
कोटा | 6600 |
दिल्ली | 7000 |
टोंक | 7080 |
बूंदी | 6525 |
भरतपुर | 6835 |
हापुड़ | 7125 |
पोरसा | 6425 |
मुरैना | 6450 |
कामां/कुम्हेर/नदबई/डीग/नगर | 6780 |
आगरा बीपी | 7200 |
आगरा शारदा | 7140 |
खैरथल | 6870 |
गंगापुर सिटी | 6850 |
ग्वालियर | 6500 |
अलवर | 7000 |
इटारसी | 6000 |
गोटेगांव | 6200 |
छिंदवाड़ा | 6000 |
जबलपुर | 6100 |
देवास | 6200 |
राठ | 6100 |
अशोकनगर | 6375 |
टीकमगढ़ | 6400 |
निवारी | 6200 |
आगरा/शमशाबाद/दिगनेर | 7550 |
अलवर सलोनी | 7550 |
कोटा सलोनी | 7550 |
नोहर | 6551 |
रावतसर | 6463 |
श्री गंगानगर | 6612 |
रावला | 6745 |
सादुलपुर | 6900 |
संगरिया | 6504 |
गजसिंहपुर | 6600 |
केसरीसिंहपुर | 6490 |
गोलूवाला | 6381 |
रायसिंहनगर | 6632 |
ऐलनाबाद | 6719 |
रेवाड़ी | 6800 |
बरवाला | 6500 |
हिसार | 6600 |
सिरसा | 6431 |
आदमपुर | 6681 |
सरसों के भाव में तेजी का कारण (Mustard Price Rising Reason)
- सरसों के भाव (Sarso ka Bhav) में हो रही बढ़ोतरी के पीछे का कारण बाज़ार में आयी सरसों की नयी फसल को कहा जा रहा है | सरसों का सरकारी भाव यानि MSP 5050 रूपए प्रति क्विंटल है, किन्तु नयी फसल के आते ही सरसो को 6000 से 7000 रूपए प्रति क्विंटल के दाम पर खरीदना शुरू कर दिया गया।
- शुरुआत में ही सरसो के अधिक दाम मिल जाने के कारण बड़े और समझदार किसानो ने इसे भंडारित करना शुरू कर दिया और बाजार में कम लाने लगे।
- भारत में सरसो का उत्पादन 2022 में काफी अच्छा रहा है। यह पिछले वर्ष कि तुलना में 7 से 8% अधिक है, तथा आने वाली फसल में और अधिक इजाफा देखने को मिल सकता है । सरसो की फसल में अनुकूल मौसम रहने की स्थिति में 10 से 15% तक अधिक पैदावार होने की संभावना है।
- रूस और यूक्रेन के मध्य हो रहे है, युद्ध के कारण अधिक मात्रा में सरसो के तेल की सप्लाई नहीं हो पायी है। जिस वजह से अधिक मात्रा में तेल का स्टॉक लगा हुआ है, जिस वजह से तिलहनी फसल चमक उठी है।
- भविष्य में सरसो के भाव को बता पाना मुश्किल है, किन्तु इस बार किसानो को सरसो के न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिल रहे है।