नई दिल्ली: टेक्नोलॉजी ने जहां आम आदमी की ज़िंदगी को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी तरफ़ इसके नुकसान भी हो रहे है। आज के दौर में हर इंसान के हाथ में स्मार्टफोन आ गया है इससे वो पूरी दुनिया से कनेक्ट हो गया है। ऐसे में हर कोई सोने से पहले अपने मोबाइल में WhatsApp, Instagram, Facebook इत्यादि पर स्टेट्स, रिल्स चेक करता हैं। यदि आप भी सोने से पहले ऐसा करते है तो सावधान हो जाइए, ये खबर आपके लिये ही है। सोचिए आपने लाइट्स ऑफ की और फिर सोने से पहले मोबाइल चेक करने लगे और अचानक आपको दिखाई ही देना बंद हो जाए तो, जी हाँ ये बिलकुल सच में हुआ है ।
मोबाइल की रोशनी ने छीन ली आंखों की रोशनी
मीडिया में छपी एक खबर के मुताबिक़ ये हैरान कर देने वाली घटना हैदराबाद की है। एक महिला जिसकी उम्र 30 साल बताई जा रही है वो हर रात को सोने से पहले अपने फ़ोन में कमरे की लाइट्स ऑफ करने के बाद फ़ोन का इस्तेमाल करती थी, ये उसका रोज का रूटीन था और एक दिन अचानक एक रात उसे फोन के साथ अन्य चीजें देखने में मुश्किल होने लगी। डॉक्टरों ने उसकी परेशानी को Computer Vision Syndrome का नाम दिया है। वैसे तो घंटों तक स्क्रीन देखने से होने वाली बीमारियों की लिस्ट बहुत लंबी है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित हमारी आंखें होती हैं।
एम्स के नेत्र रोग विभाग के अनुमान के मुताबिक स्कूली बच्चों में भी मोबाइल की स्क्रीन से चिपके रहने से रोशनी धीरे-धीरे कम हो रही है। 2015 में किए गए एम्स के आंकलन में 10 प्रतिशत स्कूली बच्चों में (Myopia) मायोपिया की बीमारी देखी गई थी, लेकिन 2050 तक भारत के लगभग आधे तकरीबन 40 प्रतिशत बच्चे मायोपिया की बीमारी के शिकार हो जाएँगे। इस बीमारी में पास की चीजे तो ठीक दिखती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखने लगती हैं।
क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है?
आपने अक्सर देखा होगा कि घर में मां बाप अक्सर टोकते हैं कि पास से टीवी- मोबाइल मत देखो आँखें ख़राब हो जाएगी। उनकी ये बात बिलकुल सही है आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि, अगर आप देर तक पास की चीजों जैसे मोबाइल, किताब या नजदीक से टीवी स्क्रीन पर फोकस करते रहते हैं, तो दूर की नजर धुंधली होने लगती है। आंखों की दूर तक फोकस करने की आदत कम होती जाती है।
जब भारत के प्रधानमंत्री को भी ये सलाह देनी पड़े कि बच्चे स्क्रीन टाइम में कटौती करें तो आप समझिए की समस्या कितनी बड़ी हो चुकी होगी। हाल ही में मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बच्चों को स्क्रीन टाइम कम करने की सलाह दी।
वीवो कंपनी ने सर्वे में किया ये बड़ा खुलासा
ज्यादातर लोग ये बहाना बनाते हैं कि मोबाइल काम की वजह से जरूरी हो चुका है तो एक मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी का सर्वे सबकी पोल खोल रहा है। जिसमे उसने बताया की…
- 76 फीसदी लोग फोटो और वीडियो देखने के लिए इन साइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- 72 फीसदी लोग पुराने दोस्तों से कनेक्ट करने के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करते हैं।
- 68 फीसदी लोग खबर देखने के लिए सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल करते हैं।
- 66 फीसदी लोग मनोरंजन के लिए फोन का इस्तेमाल करते हैं।
स्मार्टफ़ोन इस्तेमाल करने वालों को डॉक्टरों की सलाह
डॉक्टरों की सलाह है कि दूर की चीजों पर बीच बीच में फोकस करते रहें। ज्यादा देर तक स्क्रीन का इस्तेमाल करने वालों के लिए 20-20-20 वाला फॉर्मूला कारगर साबित हो सकता है। स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए इसका कोई फॉर्मूला तो नहीं है, लेकिन एम्स के नेत्र रोग विभाग के मुताबिक पूरे दिन में 2 घंटे से ज्यादा मोबाइल की स्क्रीन से ना चिपकें और हर 20 मिनट में एक ब्रेक जरूर लें।
भारत में 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के 34% लोगों की आंखों की रोशनी कमजोर है। मोबाइल, लैपटाप या टैब की स्क्रीन से चिपके भारत को ये सलाह देना बेकार है कि वो स्क्रीन का इस्तेमाल ना करें, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक जितनी बड़ी स्क्रीन होगी, परेशानी उतनी कम होगी।