Kota : कोटा में देशभर के क़रीब 2 लाख से ज़्यादा विद्यार्थी हर साल दूसरे राज्यों से पढ़ाई करने के लिए आते हैं। जबकि 25 से 30 हजार श्रमिक मध्यप्रदेश व अन्य दूसरे राज्यों के यहां स्थायी तौर पर निवास कर रहे हैं, ऐसे में यदि यहां पढ़ाई करने वाले ये स्टूडेंट या फिर श्रमिक बीमार पड़ जाएं तो उन्हें यहां के सरकारी व निजी अस्पतालों में चिरंजीवी योजना (Chiranjeevi Yojana) के तहत मुफ्त इलाज नहीं मिलेगा। ऐसे में इन्हें मजबूरन खुद की जेब से मोटा पैसा खर्च करके ख़ुद ही इलाज करवाना होगा।
चिरंजीवी योजना
बता दें कि पिछली राज्य सरकार ने राजस्थान के लोगों के लिए चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की थी। इसमें सिर्फ राजस्थान के निवासियों को ही बीमित कर इलाज किया जाता है। ऐसे में कोटा में रह रहे स्टूडेंट व श्रमिक इस योजना के तहत कवर नहीं होते।
चिरंजीवी योजना के नियमों की जटिलता के कारण सरकारी व निजी अस्पतालों में उन्हें नि:शुल्क उपचार नहीं मिल रहा। अब कोचिंग स्टूडेंट व श्रमिक वर्ग चाहते हैं कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बन चुकी है। ऐसे में नियमों में राहत देकर उनका भी इलाज मुफ्त किया जाना चाहिए।
सरकारी अस्पतालों में मरीजों का बढ़ा भार
राजस्थान में सरकार बदलते ही निजी अस्पताल पिछली सरकार द्वारा चलाई गई चिरंजीवी योजना को ठेंगा दिखाने लगे हैं। वे मरीजों का योजना के तहत पैकेज में उपचार नहीं कर रहे। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में मरीजों का भार बढ़ गया है।
सरकारी में भी राजस्थान मूल के लोगों को तो चिरंजीवी योजना में लाभ मिल रहा है, लेकिन अन्य प्रदेशों के लोगों को बीमारी के हिसाब से पैकेज की राशि जमा करवानी पड़ती है। उसके बाद इलाज मिल रहा है।
डॉक्टर्स का कहना है कि इन दिनों मौसमी बीमारियों के अलावा श्वसन, त्वचा, हार्ट, गायनिक, आर्थों, किडनी, बीमारियों के चलते सरकारी अस्पतालों पर 20 से 25 फीसदी भार बढ़ गया है।
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