JHUND REVIEW:- A BAD STORY TELLING CAN RUIN A LEGEND’S ACTING:- हिंदी स्पोर्ट्स सिनेमा इतिहास में कई फिल्में बनी है। ज्यादातर फिल्मो ने दर्शकों के मन मे अपनी ऐसी छाप छोड़ी है की लोग रिपीट मॉड में उन फिल्मों को देखते है।
स्पोर्ट्स सिनेमा में उन प्रिविलेजड (वंचित) समाज को खेल के प्रति संघर्ष करते दिखाना सिनेमा से भावनावत्मक जुड़ाव का एक टेस्टेड एंड प्रूवड तरीका है तभी स्पोर्ट्स में गली स्पोर्ट्स को हमेशा दर्शको ने खूब प्यार दिया। यह फ़िल्म भी कुछ ऐसी ही कहानी लेकर आती है जहाँ फुटबॉल कोच की भूमिका में अमिताभ बच्चन झोपड़ पट्टी के बच्चो को फुटबाल खेलना सिखाते है और बच्चे खेल से झोपड़पट्टी से इंटरनेशनल ग्राउंड तक का सफर करते है।
Jhund Movie Story, Release date & Details
Movie | Jhund |
Release platform | Theaters |
Released Date | 4th Mar 2022 |
Lead actors | Amitabh Bachchan, Akash Thosar, Rinku Rajguru, Kishor Kadam. |
Genre | Drama, Sports |
Directed by | Nagraj Manjule. |
Language | Hindi |
Producers | Nagraj Manjule, Bhushan Kumar, Krishan Kumar |
Writers | Kutub Inamdar Vaibhav Dabhade |
झुंड फ़िल्म की कहानी
कहानी काल्पनिक नहीं है। यह स्लम-सॉकर को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाने वाले “विजय वासरे” की बायोपिक है जिसमे उनका किरदार सदी के महानायक आमिताभ बच्चन ने निभाया है। फ़िल्म की कहानी इतनी सपाट है स्टोरीटेलिंग के सिवाय यह आर्टिकल की तरह लगती है जिसका सबकुछ एक ही पन्ने में लिख दिया गया हो। जिस संघर्ष की उम्मीद से दर्शक फ़िल्म देखना शुरू करते है वो वाओ मोमेंट दर्शको को फ़िल्म खत्म हो जाने पर भी नही मिलता।
दर्शको की इस उम्मीद पर फ़िल्म बनाने वाले बहुत बुरी तरह से पानी डाला है।
स्पोर्ट्स सिनेमा के नाम पर सिनेमा हॉल गए वो दर्शक जो लगान, भाग मिल्खा भाग , चक दे इंडिया और धौनी जैसी फिल्में देख चुके है उन्हें इस फ़िल्म से घोर निराशा होगी।
सैराट जैसी सुपरहिट फिल्म बनाने वाले नागराज जैसे निर्देशक भी इतने सपाट स्क्रिप्ट पर बेबस नजर आते है।
फ़िल्म में मुख्य कलाकार के रूप में अमिताभ के अलावा सहायक कलाकार के रूप में रिंकू राजगुरु और आकाश थोसार भी है जो कि नही भी होते तो पता नही चलता।
यह फ़िल्म इस बात का सबूत है कि अगर फ़िल्म लिखने वाला चाह ले तो सदी के महानायक भी अपना असर नही छोड़ पाएंगे और एक बुरा लेखन महानायक के साख पर बट्टा लगा सकता है।
फ़िल्म इतनी बुरी बनी है कि फ़िल्म बनने के बाद भी और अमिताभ बच्चन के रूप में रुपहले पर्दे में अपना किरदार पाने के बाद भी बिजय वासरे साहब के चाहने वालो में कोई महत्वपूर्ण इजाफ़ा नही होगा।
यह फ़िल्म बायोपिक केटेगरी में ब्लंडर साबित होगी।
रेटिंग:- ★★
Jhund (Trailer) Amitabh Bachchan
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