Bachchan Pandey Review In Hindi:- क्या आप सोशल मीडिया ,फ़िल्म प्रमोशन में बार बार बच्चन पांडेय बने अक्षय कुमार को देखकर यह मन बना चुके है कि अब जब भी सिनेमाघरों में लगेगी यह फ़िल्म तो देखने जरूर जाऊँगा तो एक सूचना है आपके लिए “लग चुकी है” और एक वैधानिक चेतावनी भी “अगर गए तो आपके दिमाग की भी लग जायेगी”।
एक मशहूर लाइन है कि “अगर खेवैया ही नैया डुबाए तो कौन बचाये”। लगता है यह लाइन इसी फिल्म के लिए लिखी गई थी। इस फ़िल्म के असली दुश्मन इसके डायरेक्टर ही है।
एक फ़िल्म अगर केक होती है तो कहानी उसका बेस और डायलॉग उसकी टॉपिंग है । दोनों ही मामलों में निर्देशक फरहाद श्यामजी ने दर्शको को न सिर्फ मायुस किया है बल्कि उनके समय खराब होने के एहसास को गहराया है।
Movie Name | Bachchan Pandey (2022) |
Movie Cast | Akshay Kumar; Kriti Sanon; Jacqueline Fernandez; Arshad Warsi |
Director | Farhad Samji |
Release Date | 18 March 2022 |
Movie Language | Hindi |
Genre | Action, Crime, Comedy |
IMDb RATING | 6.8/10 |
कहाँ पर मिलती है फ़िल्म को + पॉइंट्स
अगर फ़िल्म के पॉज़िटिव पॉइंट्स की बात करे तो बच्चन पांडेय बने अक्षय कुमार का गेटअप जरूर फ़िल्म को पॉजिटिव पॉइंट्स दिलाता है। उनके एक पत्थर वाली आँख और खुरदरा चेहरा आपको लम्बे समय तक याद रहेगा इसकी गारण्टी है।
फ़िल्म के बैकग्राउंड में चल रहा बीजीएम भी आपको समय समय पर गुज़बम्प देगा इसकी उम्मीद कर सकते है।
कहाँ करती है फ़िल्म निराश?
फ़िल्म स्टोरीटेलिंग का सबसे कारगर हथियार है। यह फ़िल्म इसी हथियार को अपने ही छाती घोपती है। दिशाहीन फ़िल्म को अगर ख़राब संवाद का साथ मिले तो फ़िल्म ब्लंडर बन जाती है। इस फ़िल्म के साथ भी यही हुआ है।
अभिनय के स्तर पर फ़िल्म का क्या स्कोर है?
इस बात पर कोई शक नही की अक्षय कुमार बॉलीवुड के मोस्ट एंटेरटेनिंग अभिनेता है अभी और उनकी मोस्ट एंटेरटेनिंग बने रहने की कोशिश भी फ़िल्म में साफ दिखती है लेकिन कहानी इतनी सपाट है और संवाद इतने सुने सुने से की अक्षय के पास अपने फैन को देने के लिए कुछ खाश रह नही जाता है।
अक्षय की तरह बाकी स्टार जैसे अरशद वारसी ,कृति सेनन ,जैकलीन फर्नांडिस भी ऐसे बिना तेल के दीपक की तरह है जिनकी सिर्फ बाती जल रही है।
अगर कुछ अच्छा है तो मास्टर जी बने “पंकज त्रिपाठी”। फ़िल्म का हर वो सीन जिसमे चश्मा चढ़ाए पंकज त्रिपाठी आपको दिखेंगे आपको अच्छा ही लगेगा।
क्या आप गुनगुनाने वाले है बच्चन पांडेय के गाने?
इसमें भी संदेह है। जिस फ़िल्म में अरिजीत सिंह और सुनिधि चौहान जैसे गाने वाले शानदार आवाज हो उंसके बोल जुबाँ को नही चढ़ते ये थोड़ा निराश करता है।
बी-प्राक भी इस बार अक्षय कुमार की आवाज बनने में कामयाब नही हुवे है।
कहानी कैसी है?
कहानी बहुत प्रेडिक्टेड है। अपने ट्रेलर में ही सबकुछ दिखा चुकी यह फ़िल्म सिनेमाघर में दर्शको को दिखाने के लिए कुछ बचा नही पाती है।
बस एक ही सीन है कि अच्छे बच्चन पांडे ने अपने ही प्रेमिका को क्यों मारा बस इसकी तलाश में सिनेमाघर तक पहुँच जाना आसान बात नही है।
मेरे तरफ से फ़िल्म को कितने स्टार
★★