नई दिल्ली: देश के 14 करोड़ किसानों को राहत देने के लिए मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा खाद में दी जा रही सब्सिडी को बढ़ा दिया गया है. खरीफ सीजन 2022 के लिए रिकॉर्ड 60,939 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई है. लेकिन, अब बहुत करोड़ों किसानों (Farmers) के मन में यह सवाल है कि आखिर सरकार द्वारा रासायनिक उर्वरकों पर मिलने वाली सब्सिडी बढ़ोतरी के बाद यूरिया डीएपी का रेट (Fertilizer Price) क्या है ?
आपको नहीं पता है तो हम बताते हैं. हमारे यहां सब्सिडी की वजह से खाद दुनिया में सबसे सस्ती है. सरकार जानती है कि अगर कच्चे माल के दाम में वृद्धि का बोझ किसानों पर डाला गया तो इससे किसानों की नाराजगी बढ़ेगी, जिसका सियासी नुकसान हो सकता है.
इफको के द्वारा दी जानकारी के मुताबिक़ अंतराष्ट्रीय स्तर पर रासायनिक उर्वरकों की कीमतों में हुई भारी वृद्धि के बावजूद देश में कीमतों को स्थिर रखा गया है। जानकारी के लिए आपको बता दे की केंद्र की मोदी सरकार द्वारा फास्फेटिक और पोटाश उर्वरक पर ख़रीफ सीज़न 2022 (6 महीने) के लिए ₹60,939 करोड़ की सब्सिडी देने का फैसला किया है।
Fertilizer Price 2022/खाद की कीमत/बैग (अप्रैल-2022)
खाद का नाम | रुपये/प्रति बैग का रेट |
यूरिया | ₹266.50 |
डीएपी (DAP khad price 2022) | ₹1350 |
एनपीके (NPK 12.32-16-0) | ₹1470 |
एनपीके (NPK 10-26-26) | ₹1470 |
एनपीके (NPK 20-20-0-13) | ₹1470 |
एमओपी (MOP) | ₹1700 |
एसएसपी (SSP) | ₹400 |
रासायनिक उर्वरकों पर इस समय कितनी है सब्सिडी
- केंद्र सरकार खाद पर 2021-22 में 1,62,132 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है.
- उर्वरक सब्सिडी 2013-14 में सिर्फ 71,280 करोड़ रुपये थी.
- साल 2020-21 में डीएपी पर 10,231 रुपये प्रति टन सब्सिडी थी (512 रुपये प्रति बैग).
- साल 2022-23 में (1-04-2022 से 30-09-2023) 50013 रुपये प्रति टन सब्सिडी (2501 रुपये प्रति बैग).
- सरकार पूरे देश में खाद का एक ही रेट रखती है.
यूरिया सब्सिडी किसानों के खाते में कब से आएगा
इस समय सरकार यह सब्सिडी कंपनियों को देती है. कंपनियां सस्ता उर्वरक किसानों (Farmers) को उपलब्ध करवाती हैं. लेकिन अब मांग हो रही है कि कंपनियों की बजाय सब्सिडी डायरेक्ट किसानों के बैंक अकाउंट में दी जाए. ताकि खाद की खपत भी कम हो और किसानों को एहसास भी हो कि सरकार उन्हें कुछ दे रही है. डायरेक्ट किसानों के बैंक अकाउंट में सब्सिडी जाएगी तो इसका सियासी लाभ भी मिलेगा और कंपनियों द्वारा कागजों पर सब्सिडी खा जाने का खेल भी रुकेगा.
हालांकि, तमाम किसान संगठनों की मांग के बावजूद सरकार अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. खाद कंपनियों की लॉबी ऐसा कतई नहीं होने देना चाहती. जबकि, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने भी किसानों को डायरेक्ट सब्सिडी देने की सिफारिश कर चुका है.